जैसे ही हमारी आजीविका का प्रश्न हल होता है, अगले ही पल हमारी सारी प्राथमिकताएं बदल जाती है और इसमें कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है। एक बार नौकरी मिल गई या कारोबार, व्यवसाय जम गया तो हम जीवनसाथी की तलाश करने लगते है। यह बात हमारे समाज के भारतीय युवकों की है, युवतियों के मामले में विवाह की चिंता उनके माता-पिता सोचने लगते है। उन्हें चिंता सताने लगती है कि हमारी कन्या अब 23 – 24 वर्ष की हो गई, पढाई भी लगभग इस आयु तक समाप्त हो जाती है। प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि यदि योग्य जीवनसाथी मिल जाए तो उनका जीवन स्वर्ग बन जाएगा। लेकिन केवल चेहरा देखकर या फिर किसी के बताने से यह विश्वास करना बहुत कठिन होता कि फलां युवक या युवती बहुत अच्छा है और विवाह के बाद जीवन खुशहाल रहेगा।

जब इन सब प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता तो फिर लोग ज्योतिष की शरण में आते है और पूछते है कि मेरा विवाह कब होगा? मेरा जीवन साथी कैसा होगा? मेरा विवाह किस दिशा में, किस शहर में होगा? विवाह के बाद मेरा जीवन किस प्रकार व्यतीत होगा? मेरे जीवनसाथी के साथ मेरा तालमेल कैसा बैठेगा? उसका स्वभाव कैसा होगा? युवतियॉं जानना चाहती है कि ससुराल कैसा होगा, सास-ससुर कैसे होंगे? संयुक्त परिवार में रहेगी या फिर पति के साथ अकेली रहेगी? इसके अतिरिक्त बहुत सारे प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति चाहे युवक हो या युवती या फिर विवाह योग्य युवक-युवतियों के माता-पिता के मन में अवश्य आते है। मैं प्रस्तुत लेख के माध्यम से इन प्रश्नों का यथासंभव उत्तर देने का प्रयास करूंगा।
विवाह संबंधी कुंडली के लिए अपनी जन्मतिथि और जन्म समय भेजें
अपने विवाह के संबंध में जानने के लिए आप अपनी जन्मतिथि, जन्म समय, जन्म स्थान भेजें ताकि मेरा विवाह कब होगा और विवाह से संबंधित अन्य भविष्यवाणी, ज्योतिष के माध्यम से पूर्वकथन आपको बताया जा सके। आप इस पोस्ट को पूरा पढिए तो विवाह के बारे में ज्योतिष के फलकथन से आप परिचित हो जाएंगे।
जन्मतिथि के माध्यम से विवाह कुंडली
ज्योतिष के संबंध में एक बात बहुत ही महत्वपुर्ण है, वो है आपके जन्म का विवरण। आप अपने जन्म का विवरण जिसमें जन्मतिथि, जन्मसमय और जन्म स्थान की जानकारी जितनी सटीक देंगे ज्योतिष के माध्यम से प्राप्त होने वाला फलकथन, भविष्यवाणी उतनी ही सटीक होंगी। आपके जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति थी उसी आधार पर भविष्यवाणी की जाती है यदि आपके द्वारा दिया गया जन्म का विवरण सही नहीं है तो आप सही फलकथन की उम्मीद बिल्कुन न करें। जन्म के समय में गलती होने पर दशा-महादशा बदलने की पूरी-पूरी संभावना होगी और फलकथन विपरीत भी हो सकता है। यदि आप चाहते है कि मैं आपके विवाह के संबंध में आपकी कुंडली बनाउं तो कृपया अपना जन्म विवरण एकदम सही भेजें।
जन्म कुंडली आपके जीवन का दर्पण है, यह दर्पण आपका भूत, भविष्य और वर्तमान एकदम स्पष्ट दिखलाएगा यदि आपका जन्मसमय, जन्मतिथि और जन्मस्थान सही है।

जन्मकुंडली के कुछ बहुत ही साधारण और बुनियादी नियम है जैसेकि यदि आपकी जन्मकुंडली में सातवें स्थान में, सातवें भाव में बुध विराजमान है तो आपकी शादी 20 वर्ष तक की आयु तक या उससे पहले हो जाएगी। मैंने देखा है कि यह नियम आमतौर पर सत्य सिद्ध होता देखा है। परन्तु इस बात के लिए, इस नियम की शत-प्रतिशत वैधता के लिए जन्म का समय बहुत ही सटीक होना चाहिए। पुराने समय में बच्चे के जन्म के समय की सटीकता के लिए ज्योतिषी घर के बाहर बैठा होता था और नर्स या दाई बच्चे के जन्म के समय चांदी की पायल या कोई अन्य गहना कमरे के बाहर फैंकती थी ताकि ज्योतिषी उस समय को नोट कर ले।
आजकल के समय में जन्म के समय की सटीकता के बारे में कोई इतना अधिक दावा नहीं किया जा सकता परन्तु मैंने अपने अनुभव के आधार पर कुछ नियम स्वयं के लिए गढे है। जैसेकि जब कोई व्यक्ति मेरे पास अपनी कुंडली दिखाने के लिए आता है तो सर्वप्रथम मैं उसके भूतकाल के बारे में विचार करता हूँ। उसकी जन्मकुंडली देखकर कुछ साधारण बातें मैं उसके भूतकाल की पूछता हूँ, उसके स्वभाव के बारे में उसे बताता हूँ कि उसका स्वभाव, उसकी पसंद और नापसंद इत्यादि बातें बताता हूँ और उन बातों की पुष्टि होने के बाद जब मुझे यह बात ज्ञात हो जाती है कि उसकी कुंडली एकदम सही है तभी मैं आगे बढता हूँ।
विवाह की सटीक भविष्यवाणी के लिए कुंडली में ग्रहों की भूमिका
विवाह की सटीक भविष्यवाणी के लिए ज्योतिष में वैदिक काल से कुछ नियम प्रचलन में है जिन्हें हम नकार नहीं सकते क्योंकि उन नियमों के आधार पर की गई गणना और भविष्यवाणियॉं कभी भी गलत नहीं होती।
विवाह के संबंध में विचार करने के लिए युवक की कुंडली में शुक्र और युवती की कुंडली में बृहस्पति कारक ग्रह माने जाते है। इसके बाद कुंडली में सातवें स्थान का विचार किया जाता है। यदि चंद्रमा सातवें स्थान में बैठे हो तो जीवनसाथी के संबंध में किसी भी प्रकार की भविष्यवाणी के लिए सातवें स्थान स्थित राशि स्वामी के स्वामी की भूमिका महत्वपुर्ण हो जाती है।
इसी कडी में जन्मकुंडली में शनि और अन्य पाप ग्रहों की महत्वपूर्ण भूमिका है। शनि नैसर्गिक रूप से धीमा या देरी का कारक ग्रह है। जन्मकुंडली में सातवें स्थान पर शनि और अन्य पाप ग्रहों के प्रभाव के फलस्वरूप विवाह में देरी होनी अवश्यमभावी है।
जन्मकुंडली में महादशा और अंतर्दशा की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। शुक्र और बृहस्पति की महादशा, अंतर्दशा यदि चल रही है, जातक की विवाह योग्य आयु है तो विवाह के परिपूर्ण होने की संभावनाएं बली हो जाती है। यदि शुक्र और बृहस्पति की महादशा, अंतर्दशा आने में देरी है तो जन्मकुंडली के सप्तम स्थान और वहां स्थित राशि के स्वामी का विश्लेषण आवश्यक हो जाता है।
विवाह या शादी की रिपोर्ट जो मैं तैयार करता हूँ उसमें जातक के विवाह का संभावित वर्ष और महीना बताया जाता है और मैं विवाह के लिए कौनसी तारीख शुभ रहेगी उसका उल्लेख भी अवश्य करता हूँ।
क्रमशः कृपया मेरे साथ बने रहें