विदेश यात्रा के लिए प्रयास कर रहे हैं तो इस लेख में मेरा प्रयास है कि आपको हर तरह की विदेश यात्रा के बारे में पता चले। पढाई के लिए जाना हो या कारोबार के लिए, छोटी विदेश यात्रा हो या लम्बी दूरी की ज्योतिष की हमारी रिसर्च क्या कहती है आइये जानते हैं।
बढती हुई जनसंख्या, देश में नौकरी, व्यवसाय के अवसरो में कमी के कारण लोग विदेश की तरफ आकृष्ट होते जा रहे है। प्रत्येक व्यक्ति यह जानना चाहता है कि क्या वह विदेश में जा पाएगा, विदेश में नौकरी प्राप्त कर सकेगा, विदेश में घर बना सकेगा।
आईए इन प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए हम ज्योतिष के नियमों का सहारा लेते है और ज्योतिष की सहायता से इन प्रश्न रूपी पहेलियों को सुलझाने का प्रयास करते है। विदेश में यात्रा, घूमफिर कर वापस आ जाना, व्यवसाय के सिलसिले में बार-बार विदेश जाना और विदेश में जाकर वहीं पर स्थापित हो जाना दो अलग-अलग विषय है। मैंने इन दोनो विषयों पर अलग-अलग प्रकाश डाला है।
जन्मकुंडली से जानें विदेश यात्रा के योग
जन्मकुंडली जातक के जीवन का आईना होता है। जन्मकुंडली के बारह भाव जीवन के विभिन्न चरणों का प्रतिनिधित्व करते है। जब हमें विदेश यात्रा का विचार करना होता है तो हम जन्मकुंडली के दूसरे, तीसरे, चौथे, नवम स्थान का विशेष तौर पर विचार करते है। गहराई से जानने के लिए छठे, आठवें, दसवें, ग्यारहवें, बारहवें का विचार करते है। पॉंचवे, दसवें घर का भी विचार किया जाता है।
कौन से ग्रह और भाव विदेश यात्रा करवाते हैं
जन्मकुंडली के भावों, जन्मकुंडली के घरों के अतिरिक्त सूर्य, राहु और जन्मकुंडली के द्वादश भाव के स्वामी का भी विचार किया जाता है। परन्तु एक बात हमें ध्यान में रखनी चाहिए कि विदेश में स्थायी रूप से बसने के संबंध में जो मुख्य विचारणीय घटक है, वे है सूर्य, राहु और द्वादश स्थान का स्वामी और जातक की कुंडली का दूसरा और अष्टम स्थान। इन ग्रहों पर इसलिए विचार किया जाता है क्योंकि (सूर्य, राहु, द्वादश स्थान के स्वामी) ये पृथकताजनक ग्रह है, ये कुंडली के जिस स्थान, भाव में बैठते है जातक को उस स्थान, भाव से मिलने वाले फल से वंचित कर देते है। यदि इनका संबंध जातक की कुंडली के दूसरे स्थान से हो तो जातक अपने घर से दूर निवास करता है अर्थात विदेश में जाकर रहता है और वापस नहीं आता है, वहीं स्थायी रूप से बस जाता है। इसलिए इन पृथकताजनक ग्रहों की कुंडली में स्थिति देखनी महत्वपुर्ण है।
लम्बी दूरी और कम दूरी की यात्रायें
जन्म कुंडली के दूसरे स्थान से परिवार, चौथे स्थान से मकान, तीसरे स्थान से छोटी यात्राएं और नवम स्थान से लंबी यात्राओं का विचार किया जाता है। इन सब का विश्लेषण करने से पता लगाया जाता है कि जातक की विदेशयात्रा होगी या नहीं। जन्म कुंडली के तीसरे स्थान का स्वामी यदि कुंडली के चौथे स्थान के स्वामी के साथ संपर्क, संबंध स्थापित करता है, यह संबंध स्थान परिवर्तन या राशि परिवर्तन, युति इत्यादि हो सकता है तो जातक बहुत यात्राएं करता है, देश में यात्राएं करता है, विदेश में भी यात्राएं करता है।
कुंडली के तीसरे स्थान में विराजमान पृथकताजनक ग्रह जातक को छोटी-छोटी यात्राएं करवाते है लेकिन इसके साथ ही यदि तीसरे स्थान का कुंडली के नवम स्थान से संबंध हो तो जो जातक छोटी और लंबी दोनो प्रकार की यात्रा करता रहता है।
यदि जातक की कुंडली में चतुर्थ स्थान और नवम स्थान का आपस में राशि परिवर्तन, स्थान परिवर्तन, युति इत्यादि का संबंध हो तो जातक के पास विदेश में घर होता है। घर से तात्पर्य ऐसे घर में है जिसमें वो निवास करेगा और बहुत हद तक संभव है कि वो शेष आयु उस घर में व्यतीत करेगा।
विदेश यात्रा के योग जो छठे, आठवें और बारहवें घर से बनते हैं
छठे स्थान को शत्रु स्थान के नाम से भी जाना जाता है। यदि इस स्थान में लग्नेश, द्वितीयेश के साथ विराजमान हो तो जातक को विदेश में शत्रुओं के बीच में रहना पडता है। शत्रुओं से तात्पर्य ऐसे लोगों के बीच जो सहयोग नहीं कर रहे, सहायता नहीं कर रहे और वहां जातक को बिल्कुल भी पसंद नहीं किया जाता।
परिवार से दूर रहना, परिवार से दूर सैटल हो जाना इत्यादि इन प्रश्नों का विचार आठवें भाव से किया जाता है। आठवें स्थान में यदि लग्नेश और अन्य कोई दो-तीन ग्रह विराजमान हो तो उन ग्रहों की दशा-अंतर्दशा में जातक विदेश में निवास करेगा और यह विचारणीय है कि इस अवधि के दौरान उसका अपने घर से संपर्क या नहीं होगा या फिर न के बराबर ही रहेगा।
जन्म कुंडली के बारहवें स्थान को हम कारावास के रूप में देखते है। हमने पाया है कि बहुत सारे व्यक्ति विदेश में अच्छे अवसरों की तलाश में जाते है परन्तु वहां जाकर वे फंस जाते है। पैसे से तंग हो जाते है, एक कमरे में रहकर गुजारा करना पडता है और उनका कोई सगा-संबंधी मित्र इत्यादि भी उनके पास नहीं होता। एक प्रकार से वे कारावास का दंड भुगतते है, इस संबंध में गहराई से विचार बारहवें स्थान के अध्ययन से किया जाता है।
व्यावसायिक विदेश यात्रा
जातक विदेश में व्यवसाय स्थापित करता है जब जन्म कुंडली के दूसरे, दसवें, ग्यारहवें, बारहवें स्थान के योग से विदेश यात्रा का योग निर्मित होता है।
पढ़ाई के लिए विदेश यात्रा के योग
यदि जन्मकुंडली में विदेश यात्रा के ग्रहों के साथ जन्मकुंडली का पांचवा स्थान भी शामिल हो तो जातक अध्ययन, पढाई के लिए विेदेशगमन करता है। इस योग में यदि दशम स्थान या दशमेश का भी संबंध हो तो जातक विदेश में अध्ययन करने के पश्चात वहीं नौकरी इत्यादि प्राप्त करके वहीं स्थापित हो जाता है।
यह लेख जारी है कृपया मेरे साथ बने रहें