भाग्यशाली रत्न – एक परिचय
रत्नों के बारे में किताबों में सामग्री भरी पड़ी है | असली रत्न की पहचान से लेकर रत्नों के प्रयोग और प्रभाव दुष्प्रभाव का वर्णन बड़ी सूक्ष्मता से दिया गया है | तक़रीबन हर जगह एक ही बात को घुमा फिराकर लिख दिया जाता हैं | Horoscope India पर रत्नों के विषय में केवल अनुभव सिद्ध और गोपनीय तथ्य प्रस्तुत हैं | सबसे पहले जिन्हें रत्नों के विषय में सामान्य ज्ञान भी नहीं है उनके लिए कुछ मूल बातें |
पुरातन काल से ही रत्नों का प्रचलन रहा है | मानिक मोती मूंगा पुखराज पन्ना हीरा और नीलम ये सब मुख्य रत्न हैं | इनके अतिरिक्त और भी रत्न हैं जो भाग्यशाली रत्नों की तरह पहने जाते हैं | इनमे गोमेद, लहसुनिया, फिरोजा, लाजवर्त आदि का भी प्रचलन है | रत्नों में ७ रत्नों को छोड़कर बाकी को उपरत्न समझा जाता है | मानिक मोती मूंगा पुखराज पन्ना हीरा और नीलम लहसुनिया और गोमेद ये सब ९ ग्रहों के प्रतिनिधित्व के आधार पर पहने जाते हैं | ग्रह और उनके रत्न इस प्रकार हैं
मानिक | मोती | मूंगा | पन्ना | पुखराज | हीरा | नीलम | गोमेद | लहसुनिया |
सूर्य | चन्द्र | मंगल | बुध | गुरु | शुक्र | शनि | राहू | केतु |
असली रत्न मेहेंगे होने के कारण लोग उप्रत्नों को उनके स्थान पर पहन लेते हैं | किताबों में लिखा है कि उपरत्न कम प्रभाव देते हैं |
भाग्यशाली रत्न – धारणाएं और उनका सच
आपने सुना होगा कि हर रत्न कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य दिखाता है परन्तु मेरे विचार में यह सौ फीसदी सच नहीं है | जन्मकुंडली में कुछ ग्रह आपके लिए शुभ होते हैं और कुछ अशुभ परन्तु कुछ ग्रह सम या माध्यम भी होते हैं जिनका फल उदासीन सा रहता है | ऐसे ग्रहों का न तो दुष्फल होता है न ही कोई विशेष फायदा ही मिल पाता है | यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह आपके लिए सम है तो आपको उस ग्रह विशेष का रत्न पहनने से न तो कोई फायदा होगा और न ही कोई नुक्सान ही होगा |
कुछ लोग कहते हैं कि एक व्यक्ति का रत्न दुसरे को नहीं पहनना चाहिए यह बात भी गलत साबित होते देखी गयी है | यदि आपको कोई रत्न विशेष लाभ नहीं दे रहा तो वह रत्न किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में अपनी जगह अवश्य बना लेगा जिसके लिए वह रत्न फायदेमंद हो |
कुछ लोगों का मानना है कि कुछ साल प्रयोग करने के बाद बाद गंगाजल से रत्न को धो लेने से वह फिर से प्रभाव देने लग जाता है | यह बात सरासर गलत है | आप खुद नया रत्न प्रयोग करके उसका प्रभाव महसूस कर सकते हैं | पुराने रत्न का केवल इतना होता है कि न तो वह फायदा करता है न ही कुछ नुक्सान |
प्राण प्रतिष्ठा यदि न की जाए तो भी आप रत्न का पूरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं | प्राण प्रतिष्ठा तो रत्नों के पहनने से पहले एक शिष्टाचार है जो पहनने वाले की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है |
शुभ मुहूर्त में रत्न पहनने की सलाह अवश्य दी जाती है परन्तु आपातकाल में मुहूर्त का इन्तजार करना समझदारी नहीं होगी |
कुछ रत्नों के विषय में यह कहा जाता है कि फलां रत्न किसी को नुक्सान नहीं देता | मैंने ऐसे लोग देखे हैं जिन्होंने हकीक से भी नुक्सान उठाया है | हालाँकि हकीक के विषय में ऐसा कहा जाता है कि इसका किसी को कोई नुक्सान नहीं होता फिर भी बिना विशेषग्य की राय के रत्नों से खिलवाड़ मत करें |
कहते हैं कि रत्न यदि शरीर को स्पर्श न करे तो उसका प्रभाव नहीं होता | मूंगा नीचे से सपाट होता है और जरूरी नहीं कि ऊँगली को स्पर्श करे फिर बिना स्पर्श किये भी उसका पूरा प्रभाव देखने को मिलता है | रत्न का परिक्षण करते समय रत्न को कपडे में बांध कर शरीर पर धारण किया जाता है | यहाँ भी यह बात साबित होती है कि रत्न का शरीर से स्पर्श करना अनिवार्य नहीं है |
भाग्यशाली रत्नों का अधूरा ज्ञान और दुर्भाग्य को निमंत्रण
सभी रत्न नौ ग्रहों के अंतर्गत आते हैं | सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि राहू केतु यह सब ग्रह जन्मकुंडली के अनुसार व्यक्ति को शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं | जन्म कुंडली चक्र में १२ स्थान होते हैं जिन्हें घर या भाव भी कहा जाता है | बारह भावों में सूर्यादि ग्रहों की स्थिति से निर्धारण किया जा सकता है कि कौन सा रत्न व्यक्ति को सर्वाधिक लाभ देगा | पिछले ३० वर्षों के अनुभव अनुभव के आधार पर मैंने पाया है कि यदि कोई ग्रह आपके लिए शुभ है और उसका पूरा फल आपको नही मिल रहा तो उस ग्रह से सम्बंधित रत्न धारण कर लीजिये | आप पाएंगे कि एक ही रत्न ने आपके जीवन को नई दिशा दे दी है और आपकी मानसिकता में परिवर्तन आया है | केवल एक ही रत्न काफी है आपका भाग्य बदलने के लिए |
नीचे दी गई कुंडली बिहार के अनिल राघव की है जिसे पिछले २ साल से व्यापार में भारी नुक्सान हुआ | मैंने सलाह दी कि गोमेद पहनना काफी रहेगा क्योंकि महादशा राहू की है और राहू लग्न में बैठकर आपको निर्णय लेने में असमर्थ बनाता है | आलस्य और गलत नीतियों के कारण आप व्यापार में ही नहीं बल्कि सामजिक जीवन में भी सफल नहीं हो पाते | मेष राशी में राहू से मंगल उग्र हो जाता है ऐसे में यदि गोमेद केवल ७ रत्ती का ही पहनना चाहिए | इस पर अनिल जी कहते हैं कि दो माह पहले उसने गोमेद पहना था तो उसका एक्सीडेंट हो गया था | गोंमेद मुझे सूट नहीं किया इसलिए मैंने उतार दिया |
मेरा विश्वास था कि यह व्यक्ति या तो झूठ बोल रहा है या कुछ और बात है जी ऐसी ग्रह स्थिति होते हुए भी गोमेद का लाभ न मिले | मैंने देखा कि मंगल और राहू का पाप कर्तरी योग लग्न और लाभ स्थान में बना हुआ है | इस योग से १२ वां स्थान दूषित और पीड़ित है | ऐसी स्थिति में नींद में कमी, पैर में चोट, पैर फिसलना और कर्ज से मुक्ति न मिलना ऐसे लक्षण देखे जाते हैं | अनिल ने मान लिया कि ये सब तो हो रहा है | कारण था मंगल और राहू का जन्मकुंडली में कर्तरी योग | अनिल ने २ साल से मूंगा पहना हुआ था और दो महीने पहले किसी ज्योतिषी के कहने पर गोमेद भी पहन लिया | परन्तु जिसने उसे मूंगे के साथ गोमेद पहनने की सलाह दी उसने यह नहीं सोचा कि ऐसा करने पर पाप कर्तरी योग तुरंत सक्रिय हो जाएगा | इसी के फलस्वरूप गोमेद पहनते ही चोट लगी |
बाद में मेरी सलाह से अनिल ने गोमेद पहना और मूंगा निकाल दिया | साथ ही ताम्बे का कड़ा जो अनिल ने धारण कर रखा था वो भी मैंने उतरवा दिया | क्योकि ताम्बे पर भी मंगल का अधिकार है और राहू (गोमेद ) से मंगल को मिलवाने का अंजाम अनिल पहले ही भुगत चुका था |
आज भी अनिल ने गोमेद पहन रखा है और उसका व्यवसाय फिर से गति पकड़ने लगा है | गोमेद पहनने के केवल दो दिन बाद ही उसने काफी अच्छा महसूस किया | लगभग दो साल तक मूंगा पहन कर अनिल ने जो नुक्सान उठाया था | अब मूंगा उतार कर वह समझ चुका था कि उसे गलत रत्न धारण करने की सलाह दी गई थी |
इस तरह लोग अपने ग्रहों को बलवान करने की बजाय क्षीण कर देते हैं और उन्हें पता ही नहीं चलता कि गलत रत्न को धारण करने से उन्हें क्या नुक्सान उठाना पड़ा है |
जन्मकुंडली का सामान्य ज्ञान रखने वाला भी दावा करने लगता है कि वह भाग्यशाली रत्न विशेषज्ञ है | दरअसल हमें किसी रत्न की जरूरत बाद में है पहले तो हमें यह जान लेना चाहिए कि जिस व्यक्ति से हम उपयुक्त रत्न की सलाह ले रहे हैं उसे इस विषय पर कितना ज्ञान है |
रत्नों के विषय में जरूरी हैं ये सब बातें |
- रत्न का वजन, चमक या आभा, काट और रंग से ही रत्न की गुणवत्ता का पता चलता है | रत्न कहीं से फीका कही से गहरा रंग, कहीं से चमक और कहीं से भद्दा हो तो मत पहनें |
- किसी भी रत्न को पहनने से पहले रात को सिरहाने रखकर सोयें | यदि सपने भयानक आयें तो रत्न मत पहने |
- मोती, पन्ना, पुखराज और हीरा, यह रत्न ताम्बे की अंगूठी में मत पहनें | बाकी रत्नों के लिए धातु का चुनाव इस आधार पर करें कि आपके लिए कौन सी धातु शुभ और कौन सी धातु अशुभ है | क्योंकि लोहा ताम्बा और सोना हर किसी को माफिक नहीं होता |
- लहसुनिया और गोमेद को गले में मत पहनें |
- एक ही अंगूठी में दो रत्न धारण मत करें | यदि जरूरी हो तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें |
- कौन सा रत्न कौन सी ऊँगली में पहना जाता है यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे रत्न का प्रभाव दुगुना या न्यून हो सकता है |
- यदि रत्न पहनने के बाद से कुछ गड़बड़ महसूस करें तो रत्न को तुरंत निकाल दें और रात को सिरहाने रखकर परिक्षण करें |
रत्नों के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की सहायता के लिए नीचे दिए फार्म को भरकर भेजें
Who can wear Neelam?