घर का सपना लिए कुछ लोगों की उम्र निकल जाती है लेकिन अपना मकान नहीं बना पाते | यदि मकान बनाने का स्वप्न आप भी देख रहे हैं तो ज्योतिष के कुछ नियमों को पढ़कर आप भी जान सकते हैं कि भविष्य में आप का अपना मकान होगा या नहीं | यदि होगा तो कब और कहाँ | इस आर्टिकल को लिखने में वक्त लगा है परन्तु पढने के बाद यदि आप अपने विचार अवश्य प्रकट करेंगे तो मैं अपना प्रयास सार्थक समझूंगा |
कुंडली का चौथा घर सुख सुविधा और आपके रहन सहन का परिचय देता है | शुक्र से भी हम जातक के ऐशो आराम और सुख सुविधा की उपलब्धि के बारे में अनुमान लगा सकते हैं | यदि चौथा घर और शुक्र अच्छी स्थिति में हों तो व्यक्ति के जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती | यह तो हुआ अत्यंत सामान्य सिद्धांत अब आपका परिचय कुछ ऐसी ग्रह स्थिति से करवाता हूँ जिन्हें मैंने गहन अध्ययन और बहुत सी कुंडलियों को पढने के पश्चात सत्य पाया है |
कभी कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति अपने घर से दूर रहता है | जहाँ उसका अपना मकान होता है वहां रहना उसके भाग्य में नहीं होगा | इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ग्रह स्थिति इस प्रकार है |
चौथे घर का स्वामी राहू से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध रखता हो तो व्यक्ति को घर से दूर रहना पड़ता है | सूर्य बुध और राहू ये पृथकता जनक ग्रह हैं
शुक्र की कुंडली में अशुभ स्थिति व्यक्ति को भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित कर देती है | शुक्र निर्बल होने से व्यक्ति सुख संसाधनों का स्वयं के लिए प्रयोग नहीं कर पाता | उसके धन और साधनों का प्रयोग दूसरों के लिए होता है चाहे वह उसके अपने सम्बन्धी हों या कोई और |
चौथे घर का स्वामी यदि वक्री हो तो व्यक्ति अपने बनाये मकान में स्वयं नहीं रह पाता | या तो मकान खाली रहता है या फिर किरायेदार उस मकान का उपभोग करते हैं |
चौथे घर का स्वामी नवमांश में उच्च का हो तो विवाह के पश्चात अपने मकान का योग होता है | चौथे घर में बैठा ग्रह यदि नवमांश में उच्च या अपनी राशि में हो तो भी यही फल होता है |
बारहवें घर के स्वामी का सम्बन्ध यदि चौथे घर से हो तो जातक या तो विदेश में मकान बनाता है या फिर किराए के मकान में पूरी उम्र निकल जाती है |
छठे आठवें और बारहवें घर के स्वामी यदि चौथे घर के स्वामी से सम्बन्ध रखते हों और इनमे से दो या दो से अधिक ग्रह 6,8,12 में से किसी भी स्थान में हों तो जातक विदेश में रहकर मकान बनाता है |
चौथे घर का स्वामी यदि लग्न और नवमांश दोनों में चर राशि में हो (1,4,7,10) तो जातक अपने जीवन में कई मकान बदलता है और एक जगह पर अधिक देर तक नहीं रह पाता |
लग्न और नवमांश दोनों में थोथे घर का स्वामी ग्रह यदि स्थिर राशियों (वृषभ सिंह वृश्चिक कुम्भ) में हो तो जातक बार बार मकान नहीं बदलता |
चौथे घर के स्वामी को अष्टकवर्ग में छह से अधिक रेखा प्राप्त हों तो जातक को उत्तम मकान का सुख होता है |
चौथा घर मंगल, राहू और शनि से प्रभावित हो तो मकान के सम्बन्ध में जातक को हमेशा कष्ट उठाने पड़ते हैं | जिस मकान में जातक रहता है उसमे बहुत सी परेशानियाँ रहती है | एक तरह से जातक को कभी मकान में सुख का अनुभव बहुत कम होता है |
चौथे घर का स्वामी बुध और राहू के साथ हो तो जातक का अपने मकान में कभी मन नहीं लगता |
इस सन्दर्भ में पूरी किताब लिखी जा सकती है फिर भी जो नियम ऊपर लिखे हैं व्यवहारिक तो हैं परन्तु अन्य ग्रहों के प्रभाव से उपरोक्त नियम भी प्रभावित हो सकते हैं | इस विषय में कोई जिज्ञासा, सुझाव या शिकायत हो तो कमेन्ट बाक्स का प्रयोग करें या ईमेल करें |
