अष्टकवर्ग जन्मकुंडली का एक अभिन्न अंग है | इसे भारतीय अंक ज्योतिष भी कहा जाता है | अष्टक वर्ग में अंकों द्वारा जन्म कुंडली का सूक्ष्म अध्ययन किया जाता है | कुंडली में नौ ग्रह होते हैं जिसमे से ७ ग्रह सूर्य चन्द्र मंगल बुध गुरु शुक्र शनि को अष्टक वर्ग में स्थान दिया गया है | राहू और केतु की अष्टकवर्ग में गणना नहीं की जाती |
अष्टकवर्ग कैसे काम करता है |
अष्टकवर्ग में हर ग्रह अपने स्थान से गिनकर अगले कुछ स्थानों में शुभत्व प्रदान करता है उदाहरण के लिए मंगल अपने स्थान से तीसरे छठे और दसवें स्थान पर एक अंक देता है | आपकी कुंडली में हर ग्रह एक दुसरे स्थान को अंकों द्वारा बल या शक्ति प्रदान करता है | इन अंकों के जोड़ से कुंडली में कुछ स्थान ऐसे भी रह जाते हैं जिनमे कोई अंक कम रह जाता है और कुछ स्थानों में अंक अधिक हो जाते हैं | अधिकतम अंक ८ तक और न्यूनतम अंक ० तक माने जाते हैं | चार से नीचे के अंक कम होते हैं और चार से ऊपर के अंक शक्ति प्रकट करते हैं | जहां तो अंक कम हैं वहां से कुंडली का वह स्थान कमजोर हो जाता है जहां अंक ज्यादा हो जाते हैं वहां कुंडली का वह स्थान शक्तिशाली हो जाता है | यदि कुंडली में किसी ग्रह को अष्टकवर्ग में ६ अंक प्राप्त हैं तो वह ग्रह व्यक्ति को धनी और संपन्न बना देता है | ७ अंक वाला ग्रह व्यक्ति को समर्थ और लोकप्रिय बना देता है | यह एक बहुत बड़े राजयोग को दर्शाता है | ८ अंक यदि किसी ग्रह को प्राप्त हों तो व्यक्ति की गिनती गणमान्य लोगों में की जाती है | यह व्यक्ति को किसी बड़े पड़ पर आसीन होने की शक्ति देता है | मंत्री, राजनेता, उद्योगपति, फिल्म कलाकार, जाने माने लोगों की जन्म कुंडली में एक या एक से अधिक ग्रहों को ७, ८ अंक की शक्ति का होना आम बात है | एक ही दिन में एक ही समय पर और एक ही शहर में दो बच्चों का जन्म हो सकता है और उन दोनों में से एक अमीर दूसरा गरीब हो सकता है | एक साधारण और दूसरा मशहूर हस्ती बनकर प्रसिद्द हो जाए तो इसके पीछे अंकों का यही जोड़ काम कर रहा होता है जो एक कुंडली को दूसरी से सर्वथा अलग कर देता है | भले ही जन्म समय एक हो पर अष्टकवर्ग का जोड़ एक सा नहीं होता |
इस का अंकों की सहायता से मूल्यांकन करके ग्रहों की वास्तविक शक्ति का पता लगाया जाता है | यदि यह पता चल जाए कि सूर्य चन्द्र या कोई विशेष ग्रह को अंक अधिक मिले हैं तो इसका अर्थ है कि वह विशेष ग्रह व्यक्ति की कुंडली में शक्तिशाली है और जीवन में उस ग्रह से व्यक्ति को कोई हानि नहीं होगी अपितु लाभ ही होगा | लोग तरह तरह के भाग्यशाली रत्न धारण करते हैं परन्तु कोई इस और ध्यान ही नहीं देता कि जो ग्रह पहले से बलवान है उसे किसी भी प्रकार के उपाय या रत्न की आवश्यकता नहीं है | इस प्रकार लाभ की अपेक्षा हानि होने की संभावना अधिक बनी रहती है |
इसलिए जब भी आप अपनी कुंडली किसी विद्वान् को दिखाएँ और विद्वान यदि अष्टकवर्ग का फल भी आपको कहता है तो निस्संदेह वह व्यक्ति परम विद्वान है और माँ सरस्वती की कृपा का पात्र है | उसके कहे वाक्य शत प्रतिशत सिद्ध होंगे |