जन्म कुंडली में कुल बारह स्थान होते है, प्रत्येक स्थान जीवन के किसी न किसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है, आम बोलचाल की भाषा में इन भावों को घर या स्थान भी कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष की सहायता से इन्हीं बारह भावों में बारह राशियों और नौं ग्रहों की स्थितियों की गणना करके भविष्यवाणी की जाती है।
प्रस्तुत लेख में मैं जन्मकुंडली के बारहवें भाव के बारें में आपके साथ अपने अनुभवों को सांझा कर रहा हूँ। बारहवें भाव को व्यय भाव कहा जाता है। व्यय अर्थात खर्च परन्तु यह खर्च केवल रुपए-पैसे का नहीं है बल्कि जीवन की हर स्थिति के खर्च होने से संबंधित हैं जैसेकि जन्मकुंडली के दसवें घर यानी नौकरी वाले घर का स्वामी यदि बारहवें घर में बैठ जाए तो उस ग्रह की दशा में नौकरी खर्च हो जाएगी यानि नौकरी चली जाएगी।
दूसरा उदाहरण प्रस्तुत करता हूँ, जन्मकुंडली का लग्न अर्थात प्रथम भाव आप स्वयं है, जन्मकुंडली का दूसरा घर आपका परिवार है। यदि जन्मकुंडली के प्रथम भाव और दूसरे भाव दोनों के स्वामी बारहवें घर में बैठ जाएं तो व्यक्ति की पूरी जिंदगी घर परिवार से दूर विदेश में निकल जाती है।
तीसरा उदाहरण इस प्रकार से है, मान लो जन्मकुंडली के पांचवे घर का स्वामी यदि जन्मकुंडली के बारहवें घर में विराजमान हो तो पढ़ाई खर्च हो जाती है, पढ़ाई का व्यय हो जाता है अर्थात आपके द्वारा प्राप्त की गई आपके काम नहीं आती, कोई फायदा नहीं मिलता। जैसे किसी व्यक्ति ने बीकॉम किया और बाद में कपड़े का बिजनेस खोल लिया इस प्रकार बीकॉम करने का कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि यह काम तो बीकॉम किए बिना भी किया जा सकता था।
मेरा कहने का तात्पर्य है कि बारहवें घर का स्वामी व्यक्ति के समय को बर्बाद करता है। यदि पढ़ाई के दौरान बारहवें घर के स्वामी या बारहवें घर में बैठे ग्रहों के स्वामी की दशा आ जाए तो उस दशा में की गई पढ़ाई भविष्य में आपके किसी काम नहीं आएगी। आजकल पढ़ाई का दौर चल रहा है, छुट्टियां हो चुकी है, बच्चों ने उच्च शिक्षा के लिए क्या विषय लेने है, उसका निर्णय हो चुका है। परंतु मुझे उम्मीद है कि आप अपनी कुंडली के बारहवें घर को ध्यान में रखकर अपने समय का सदुपयोग करेंगे
इन उदाहरणों से आप समझ गए होंगे कि कुंडली का बारहवां घर “व्यय” किस प्रकार से होता है। लेकिन ध्यान रखिए सबसे अधिक व्यय होता है “समय” का। क्योंकि मैंने देखा है कुछ लोगों ने अपने जिंदगी के महत्वपूर्ण साल यूं ही व्यतीत कर दिए, न कोई अनुभव प्राप्त किया, ना कोई शिक्षा ग्रहण की बस समय व्यतीत किया।
जन्मकुंडली के बारहवें घर के स्वामी की दशा जब आती है तब समय बेकार में जाता है बशर्ते कि जन्मकुंडली के बारहवें घर का स्वामी जन्मकुंडली के लिए अशुभ हो। लेकिन ध्यान रखिए जन्मकुंडली के बारहवें घर का स्वामी ग्रह अच्छा फल भी देता है क्योंकि बाहरवां घर कारक है बृहस्पति, शुक्र और केतु का। इन तीनों ग्रहों की बारहवें घर में स्थिति मजबूत और शुभ मानी गई हैं। इस संबंध में कम से कम मेरा स्वयं का अनुभव तो यही कहता है।
यदि जन्मकुंडली में बारहवें घर का स्वामी बृहस्पति हो तो वो आय को ऐसे स्थान पर खर्च करवाएगा, जहां से आप अपने उस किए हुए खर्च से आमदनी प्राप्त करेंगे। उदाहरण के तौर पर उस व्यक्ति की मानसिकता ऐसी हो जाती है कि एक भी पैसा बेफिजूल खर्च नहीं करेगा, ऐसा व्यक्ति दुर्व्यसनों में पैसा बर्बाद नहीं करता, यदि शराब भी पिएगा तो अपने पैसे की नहीं। इस स्थिति को आप कंजूसी का नाम नहीं दे सकते। क्योंकि आवश्यकता पड़ने पर ऐसा जातक बड़े खर्चे भी कर देता है परंतु बेफिजूल नहीं।
इस समय बारहवें घर में जिन राशि वालों के कोई ग्रह चल रहा है उनका विवरण और उनका फलादेश मैं अपनी अगली पोस्ट में आपके साथ शेयर करूंगा। जैसे कुंभ राशि वालों की गोचर कुंडली के बारहवें घर में मंगल इस साल के नवंबर तक विराजमान रहेगा। इसी प्रकार मकर राशि वालों की गोचर कुंडली में शनि बारहवें घर में है। मिथुन राशि वालों की गोचर कुंडली में सूर्य बारहवें घर में चल रहा है। उम्मीद करता हूं आप मेरे साथ बने रहेंगे। पोस्ट अच्छी लगी हो तो लाइक करें, शेयर करना ना भूलें। इस पोस्ट पर अपने समय का सदुपयोग करने के लिए मैं आपका आभारी रहूंगा