कुंडली में नौंवा घर भाग्य स्थान कहलाता है l इस भाव का स्वामी गुरु होता है | इस भाव भाग्य का विचार किया जाता है व्यक्ति अपने जीवन में आस्तिक होगा या नास्तिक होगा | वह धार्मिक कार्यों में कितना सक्रिय रहेगा | कितना धर्म करेगा कितना करेगा | कितना धार्मिक होगा | या व्यक्ति कितने पाप पुन्य करेगा | यह सब कुछ इसी भाव से जाना जाता है व्यक्ति का भाग्य उसका कितना साथ देगा |
भाग्य की जातक के जीवन में क्या भूमिका रहेगी | शेष सभी भाव या ग्रह बलवान हो और यह भाव दुर्बल हो तो सारी मेहनत बेकार हो जाती है | क्योंकि भाग्य काम नही आता | यदि भाग्य साथ न दे तो व्यक्ति कुछ नही कर सकता | कर्म कितने ही शुद्ध क्यों न हो भाग्य की आवश्यकता हर जातक को जरूर पड़ती है इसी तरह यदि केवल भाव बलवान हो तो भी व्यक्ति का जीवन कट जाता है | भाग्य के सहारे बड़े-बड़े काम हो जाते हैं | नीचे जातक की कुंडली दी जा रही है…
इस व्यक्ति के सारे ग्रह पीड़ित हैं केवल भाग्य स्थान में गुरु उच्च राशि में बैठा है |
बचपन में माता पिता की मृत्यु के बाद यह जातक अकेला रह गया था | परन्तु इस जातक का भाग्य बहुत बलवान है | गुरु उच्च का होकर यहाँ बैठा है यह जातक नर्सरी में माली का काम करता था | बागवानी करते करते इसका भाग्य जाग जागृत हो गया उस नर्सरी का मालिक विदेश में चला गया उसकी कोई सन्तान नही थी वह कभी कभीइस देश में आता था उसका व्यवसाय विदेश में ऐसा चला की उसने भारत में माजूद अपनी सम्पत्ति की उसे कोई आवश्यकता नही रही | उसने इस माली को नर्सरी का मालिक बना दिया | चंडीगढ़ हाइवे पर स्थित इस नर्सरी के मालिक बनने के बाद उस जगह के दाम दिन प्रतिदिन बढनें लगे | माली से करोड़पति बना यह व्यक्ति केवल और केवल अपने भाग्य स्थान बलवान होने के कारण ही इतनी सफलता हासिल कर सका | इस व्यक्ति का चन्द्रमा नीच राशि में शनि नीच राशि में तथा मंगल निर्बल सूर्य शून्य बली शुक्र रोग स्थान में और बुध भी पीड़ित है केवल गुरु उच्च राशि में होने के कारण इसका भाग्य प्रबल है बुध की द्रिष्टि नवम भाव पर होने का कारण हरे-भरे पेड-पोधों की देखभाल करना था | परन्तु गुरु और राहू ने इस व्यक्ति को शिखर तक पंहुचा दिया | यह कुंडली एक अपवाद भी हो सकता है |
Date of birth: 16May1972
Place:Solapur,Maharastra
Time:7.05 morning
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